यहां जानिए क्या है डायबिटीज के लक्षण और उपाय

डायबिटीज से बचाव के लिए वक्त रहते शुगर के लक्षण जानना है जरूरी। इस विशेष लेख में पढ़ें डायबिटीज के लक्षण और उपाय से जुड़ी कई आवश्यक जानकारियां।

हम अक्सर अपने स्वास्थ्य की कई छोटी-छोटी समस्याओं को अनदेखा कर देते हैं। ये स्वास्थ्य समस्याएं किसी बड़ी बीमारी के भी लक्षण हो सकते हैं। ऐसी ही एक स्वास्थ्य समस्या है डायबिटीज। लोगों में शुगर के लक्षण और इलाज से जुड़ी जागरूकता जरूरी है। 

 

दरअसल, डायबिटीज के लक्षण और उपाय के बारे में जानकर इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। तो मधुमेह से बचाव के लिए यहां पढ़ें डायबिटीज के लक्षण और मैनेजमेंट से जुड़ी सारी जरूरी जानकारियां। 

 

विषय सूची :

डायबिटीज क्या है?

डायबिटीज एक क्रोनिक यानी लंबे समय तक चलने वाली या कभी न ठीक होने वाली हेल्थ कंडीशन है। मधुमेह यानी डायबिटीज में आपके द्वारा सेवन किये गए खाद्य पदार्थों को ऊर्जा में परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। बता दें कि आपका शरीर आपके द्वारा लिए जाने वाले आहार को शुगर (ग्लूकोज) में तोड़ देता है और इसे आपके ब्लड स्ट्रीम में रिलीज़ कर देता है। 

 

जब आपका ब्लड शुगर स्तर बढ़ता है, तो यह आपके पैंक्रियाज को इंसुलिन (पैंक्रियाज में बीटा सेल्स द्वारा बनने वाला हार्मोन है) रिलीज़ करने का संकेत देता है। इंसुलिन आपके शरीर की कोशिकाओं में ब्लड शुगर को पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है, जिससे कि शरीर शुगर को ऊर्जा के रूप में उपयोग कर सके।

 

वहीं, जब आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता तो इससे आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोज या शुगर का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में ज्यादा ब्लड शुगर के कारण डायबिटीज की समस्या उत्पन्न हो जाती है। 

 

बता दें डायबिटीज के तीन प्रकार हैं, टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल। मधुमेह के लगभग 90-95% मामलें टाइप 2 डायबिटीज के होते हैं और 5-10% मामलें टाइप 1 डायबिटीज के होते हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि टाइप 2 डायबिटीज सामान्य है और टाइप 1 दुर्लभ। वहीं, जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए शुगर स्तर के कारण होती है।

डायबिटीज के लक्षण

डायबिटीज के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके कुछ लक्षणों के बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है।

बार-बार पेशाब आना

बता दें कि किडनी शरीर में मौजूद अत्यधिक शुगर को पेशाब के जरिए बाहर निकालने का काम करती है। ऐसे में जैसे-जैसे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है तो किडनी खून से अधिक से अधिक शुगर को फ़िल्टर करने की कोशिश करती है। यही कारण है कि मधुमेह के मरीजों को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। खासकर ऐसा रात में हो सकता है।

ज्यादा प्यास और भूख लगना

शुगर पेशेंट के लक्षण की बात की जाए तो ज्यादा प्यास व भूख लगना भी इसका एक लक्षण है। दरअसल, डायबिटीज में बार-बार पेशाब आने के कारण आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप प्यास लग सकती है। 

 

साथ ही टाइप 2 डायबिटीज में, आपका शरीर ग्लूकोज का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है, जिससे कि ऊर्जा की कमी से भूख लग सकती है। 

धुंधला दिखाई देना

मधुमेह के लक्षण में धुंधला दिखना भी शामिल है। डायबिटीज में हाई ब्लड ग्लूकोज़ के कारण आंखों में फ्लूइड यानी तरल पदार्थ लीक हो सकता है, जिससे आंखों का लेंस प्रभावित हो सकता है। यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों को धीरे-धीरे धुंधला दिखाई दे सकता है। यह टाइप 2 डायबिटिक के शुरुआती लक्षणों में से एक है। ऐसा एक या दोनों आंखों में हो सकता है और डायबिटीज का पता न होने पर यह गंभीर हो सकता है।

थकान होना

अत्यधिक थकान होना भी शुगर के लक्षणों में से एक है। इस स्थिति के शुरुआती दिनों में आपके ब्लड शुगर लेवल्स में अचानक वृद्धि या कमी हो सकती है। इसका कारण यह है कि आपका शरीर खाद्य पदार्थों से ऊर्जा का उपयोग करने में असमर्थ होता है। वहीं, बार-बार पेशाब आने से डिहाइड्रेशन होता है। इससे आप जल्दी थक सकते हैं।

अचानक से वजन में परिवर्तन होना

शुगर पेशेंट के लक्षण में अचानक होने वाले वजन परिवर्तन को भी गिना जाता है। मधुमेह में, वजन घटने और बढ़ने दोनों का जोखिम हो सकता है। वजन घटना मधुमेह के शुरूआती लक्षणों में से एक है। वहीं, जिन्हें मधुमेह हो चुका रहता है, उनमें वजन बढ़ने की समस्या देखी जाती है। 

 

दरअसल, इंसुलिन की अपर्याप्त मात्रा ब्लड ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है। इसके परिणामस्वरूप, ऊर्जा के लिए आपका शरीर फैट और मसल बर्न करने या उपयोग करने लगता है, जिससे वजन में कमी हो सकती है। साथ ही बार-बार पेशाब आने से शुगर के साथ-साथ आपकी कैलोरीज़ भी कम हो सकती हैं। 

 

वहीं, मधुमेह मरीजों में अत्यधिक भूख लगने के लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे में अधिक खाना और थकावट के वजह से किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करना वजन बढ़ने का कारण बन सकता है।

चिड़चिड़ापन

डायबिटीज के कारण तनाव या अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, जिससे कि डायबिटिक्स चिड़चिड़े हो सकते हैं। अपने अंदर होने वाले बदलाव व थकावट के कारण भी वे चिड़चिड़े हो सकते हैं।

घाव भरने में समय लगना

घाव धीरे-धीरे भरना डायबिटीज के मुख्य लक्षणों में से एक लक्षण है। डायबिटीज के मरीजों की इम्यून पावर यानी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। दरअसल, ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर सफेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। बता दें स्वस्थ इम्यून पावर के लिए वाइट ब्लड सेल्स काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण मधुमेह मरीजों में घाव या कट धीरे-धीरे भरता है।

स्किन इंफेक्शन्स

डायबिटीज की स्थिति में स्किन इन्फेक्शन यानी त्वचा संक्रमण होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसलिए यदि किसी की त्वचा में बार-बार संक्रमण हो रहे हैं, तो यह डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं। 

ओरल इंफेक्शन्स

डायबिटीज में मुंह सूखने लगता है, जिससे कि मुंह का इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आपके मुंहे में अगर बार-बार संक्रमण हो रहे हैं, तो ये शुगर के लक्षण हो सकते हैं। 

वजाइनल इंफेक्शन्स

डायबिटीज का एक लक्षण वजाइनल इन्फेक्शन भी हो सकता है। यह बार-बार पेशाब जाने के कारण हो सकता है। बता दें कि वजाइनल इंफेक्शन्स के लिए कैंडिडा फंगस जिम्मेदार होते हैं। 

डायबिटीज का निदान

शुगर के लक्षण दिखाई देने पर डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं। उन टेस्ट के बारे में नीचे विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। 

  • हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) टेस्ट:

यह एक प्रकार का ब्लड टेस्ट होता है। इस टेस्ट से आपके पिछले 2 से 3 महीनों के औसत ब्लड शुगर लेवल्स का पता लगाया जा सकता है। ब्लड शुगर लेवल का 5.7% या उससे कम होना सामान्य माना जाता है और 6.5% या उससे अधिक होना डायबिटीज माना जाता है। 

 

वहीं जिनका ब्लड शुगर लेवल 5.7% से 6.4% के बीच होता है, वे प्रीडायबिटिक होते हैं यानी उनमें डायबिटीज होने का जोखिम अधिक होता है।

  • रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट:

यह टेस्ट किसी भी समय किया जा सकता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने खाना कितनी देर पहले खाया था। यदि आपका ब्लड शुगर लेवल 200 mg/dL है तो आपको डायबिटीज है।

  • फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट:

इस टेस्ट को रात भर के फास्टिंग यानी उपवास के बाद आपके ब्लड शुगर लेवल्स को मापने के लिए किया जाता है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल 99 mg/dL है तो इसे सामान्य माना जाता है। 

 

वहीं, यदि 100 से 125mg/dL के बीच है तो आप प्रीडायबिटिक हैं। अगर 126 mg/dL या इससे अधिक है, तो यह डायबिटीज को दर्शाता है।

  • ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट:

इस टेस्ट को प्रीडायबिटिज़, टाइप 2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट को करने के लिए 8 घंटे या रात भर का उपवास आवश्यक है। 

 

इसमें फास्टिंग के बाद का ब्लड सैंपल लिया जाता है। फिर व्यक्ति को ग्लूकोज़ ड्रिंक लेना पड़ता है। इसके बाद एक निश्चित समयांतराल, जैसे 1 घंटे, 2 घंटे और 3 घंटे में आपके ब्लड शुगर लेवल्स को चेक किया जाता है। 

 

अगर ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dL से कम है तो इसे सामान्य माना जाता है और 140 से 199 mg/dL के बीच है तो उसे प्रीडायबिटीज माना जाता है। वहीं अगर 200 mg/dL से अधिक है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति शुगर पेशेंट है।

डायबिटीज के उपाय

अगर किसी को डायबिटीज की समस्या है, तो वे डायबिटीज को मैनेज करने के लिए कुछ उपायों को अपना सकते हैं। 

 

बता दें कि इन उपायों के साथ-साथ डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए नियमित दवाइयां व डॉक्टर कंसल्टेशन भी आवश्यक है। तो ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं: 

  • स्वस्थ आहार- डायबिटीज के उपाय में आहार सबसे अहम भूमिका निभाता है। आहार में कुछ परिवर्तन करने से आपको टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप अपनी डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, नट्स, बीज और लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, दिन में कई बार कम-कम मात्रा में खाने की कोशिश करें। आप अपने डॉक्टर या एक्सपर्ट से अपने लिए डाइट चार्ट बनवाकर उसे फॉलो कर सकते हैं। 
     
  • नियमित व्यायाम- डायबिटीज को मैनेज करने के लिए एक्टिव रहना और नियमित व्यायाम करना जरूरी होता है। यह स्वस्थ वजन बनाए रखने के साथ ही ब्लड शुगर लेवल्स को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। आप अपने वर्कआउट प्लान में एरोबिक व्यायाम जैसे दौड़ना या साइकिल चलाना और योग को शामिल कर सकते हैं।  
     
  • नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग- अपने ब्लड शुगर लेवल्स को नियमित रूप से मॉनिटर करने पर आपको अपने ब्लड शुगर में होने वाले बदलाव का जल्दी पता लगाने और समाधान करने में मदद मिल सकती है। अगर आपको डायबिटीज होने का जोखिम है, तो यह आपके लिए मददगार हो सकता है। वहीं, अगर किसी को पहले से ही मधुमेह है, तो उन्हें अपने ब्लड शुगर के स्तर के बारे में जानकारी रखने में मदद मिल सकती है।
     
  • दवाइयाँ और इंसुलिन थेरेपी- डायबिटीज के उपाय में दवाइयाँ और इंसुलिन थेरेपी को भी शामिल किया जाता है। ऐसे में आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों को समय पर लेना जरूरी है। हमने पहले ही जानकारी दी है कि डायबिटीज के लिए जीवनशैली में बदलाव करने के साथ-साथ नियमित दवाइयों का सेवन करना भी आवश्यक है। 

डॉक्टर से कब संपर्क करें

डायबिटीज की कुछ स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है। उन स्थितियों के बारे में नीचे बताया गया है। 

  • अगर किसी में डायबिटीज के गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो वे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 
  • डायबिटीज के उपायों और दवाइयों के इस्तेमाल से शुगर लेवल्स में किसी तरह का बदलाव न होने पर डॉक्टर से सहायता लें। 
  • डायबिटीज के साथ किसी अन्य गंभीर समस्या के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। 

जैसे कि हमने पहले ही बताया है कि डायबिटीज एक क्रोनिक कंडीशन है। इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन सही उपायों को अपनाकर शुगर पेशेंट के लक्षण को अच्छी तरह मैनेज किया जा सकता है। ऐसे में जिन्हें भी डायबिटीज है, वे घबराएं नहीं, बल्कि यहां बताई गई बातों का ध्यान रखें। 

 

सही दिनचर्या अपनाएं, अपने खान-पान में बदलाव करें, ताकि डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए यह सहायक साबित हो। आप डायबिटीज को मैनेज करने के लिए Phablecare ऐप की भी मदद ले सकते हैं।

 

Don’t Have Time To Read?

  • डायबिटीज एक क्रोनिक हेल्थ कंडीशन है, जो रक्त में शुगर की मात्रा ज्यादा होने के कारण होती है।
  • शुगर के लक्षण में बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास और भूख लगना, थकान होना, धुंधला दिखाई देना, अचानक से वजन में परिवर्तन होना, आदि शामिल है।
  • डायबिटीज के निदान के लिए हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) टेस्ट, रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट, ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट, आदि को अपनाया जा सकता है।
  • डायबिटीज को मैनेज करने के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग, दवाइयां और इंसुलिन थेरेपी को अपना सकते हैं।
  • आप अपने घर में आराम से बैठकर रीयल-टाइम रिमोट केयर प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए Phable Care ऐप का उपयोग करें और भारत के प्रमुख डायबेटोलॉजिस्ट से परामर्श करें, दवाइयाँ ऑर्डर करें, लैब टेस्ट बुक करें, ब्लड शुगर मॉनिटरिंग को इंटिग्रेटे करें और अन्य डिवाइसेस खरीदें। इसके अलावा, हमारे डायबिटीज मैनेजमेंट प्रोग्राम को चेक करें जो 360º देखभाल प्रदान करते हैं। आइए डायबिटीज का इलाज एक साथ मिलकर करें।

Friendly Asked Questions

डायबिटीज होने का मुख्य कारण क्या है?

अधिकांश मामलों में डायबिटीज के कारणों का पता नहीं चलता है। हालांकि, यह रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने के कारण होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज आनुवंशिक या पर्यावरणीय कारकों के कारण भी हो सकते हैं।

डायबिटीज की पहचान कैसे करें?

डायबिटीज की पहचान हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) टेस्ट, रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट, ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट, आदि के द्वारा किया जा सकता है। 

डायबिटीज के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

डायबिटीज के शुरूआती लक्षण में –
-बार-बार पेशाब आना
-ज्यादा भूख-प्यास लगाना
-थकान होना, आदि शामिल है।

टाइप 2 मधुमेह के पहले चेतावनी संकेत क्या हैं?

टाइप 2 मधुमेह के पहले व्यक्ति में कुछ मधुमेह के लक्षण दिख सकते हैं। ये चेतावनी संकेत कुछ इस प्रकार हैं:
-वजन कम होना
-बार-बार भूख लगना 
-थकान महसूस होना 
-घाव न भरना 
-जल्दी बीमार होना 
-ज्यादा प्यास लगना 
-स्वभाव में बदलाव होना, चिड़चिड़ापन महसूस होना

उम्र के हिसाब से शुगर लेवल कितना होना चाहिए?

उम्र के हिसाब से शुगर लेवल्स को कुछ इस तरह से विभाजित किया जा सकता है। उम्र फास्टिंग शुगरलंच के बाद डिनर के बाद6-12 साल80 से 180 mg/dl 140 mg/dl100 से 180 mg/dl13-19 साल70 से 150 mg/dl 140 mg/dL 90 से 150 mg/dl20-26 साल100 से 180 mg/dl 180 mg/dL 100 से 140 mg/dl27-32 साल100 mg/dl 90-110 mg/dL100 से 140 mg/dl33 से 40 साल140 mg/dl160 mg/dl90 से 150 mg/dl40-50 साल90 से 130 mg/dL140 mg/dl150 mg/dl50-60 साल90 से 130 mg/dL140 mg/dl 150 mg/dl

डायबिटीज किसकी कमी से होता है?

डायबिटीज शरीर में इन्सुलिन की कमी से होता है। इंसुलिन शुगर को ऊर्जा में परिवर्तित करने का काम करता है। जब इंसुलिन की कमी हो जाती है तो शुगर रक्त में ही रह जाता है, जो डायबिटीज का कारण बनता है। 

क्या टाइप 2 डायबिटीज़ गंभीर है?

टाइप 2 डायबिटीज होने पर दूसरी गंभीर समस्याएं होने के जोखिम बढ़ जाते हैं । इसलिए, टाइप 2 डायबिटीज को गंभीर माना जा सकता है।

जब मधुमेह शुरू होता है तो आप कैसा महसूस करते हैं?

जब मधुमेह शुरू होता है, तो बार-बार पेशाब आ सकती है। बहुत ज्यादा भूख-प्यास और थकान महसूस हो सकती है।

डायबिटिक यूरिन किस रंग का होता है?

डायबिटीज की स्थिति में यूरिन का रंग हल्का पीला हो जाता है। पेशाब में शुगर के लक्षण रंग परिवर्तन के रूप में दिख सकते हैं। 

क्या मधुमेह के कारण बाल झड़ते हैं?

वैसे तो डायबिटीज में बाल झड़ते है या नहीं, इस पर किसी तरह की स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज के लिए लम्बे समय तक दवाई लेने के कारण दवाइयों के साइड इफेक्ट से बाल झड़ने लग सकते हैं।

क्या मधुमेह के कारण खुजली होती है?

हाँ, शुगर पेशेंट के लक्षण में लगातार खुजली भी शामिल है। डायबिटीज के कारण ठीक तरह से रक्त संचार नहीं हो पाता है, जिससे कि खुजली की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, यह नर्व डैमेज का संकेत हो सकता है। ऐसा साइटोकिन्स के बढ़े हुए स्तर के कारण हो सकता है। ऐसे में अगर किसी को डायबिटीज की समस्या है, तो वे डायबिटीज के लक्षण और उपाय के बारे में ऊपर लेख में पढ़ सकते हैं।