रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट क्या है? जानिए कब पड़ती है इसकी जरुरत

डायबिटिक्स को ही नहीं, बल्कि हर किसी को कराना चाहिए रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट। यहां पढ़ें रैंडम ब्लड शुगर क्या होता है और यह टेस्ट कब और क्यों कराया जाता है।

रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के बारे में हर किसी को जानकारी होनी चाहिए। रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट या आरबीएस टेस्ट डायबिटिक, प्री-डायबिटिक और नॉन-डायबिटिक सभी करा सकते हैं। इससे आपको अपना ब्लड शुगर लेवल मॉनिटर करने में मदद मिल सकती है। 

 

इसके द्वारा आप ब्लड शुगर लेवल ट्रैक कर इसके रिस्क और कॉम्प्लीकेशन्स से बच सकते हैं। तो चलिए जानते हैं आरबीएस टेस्ट करने का तरीका, रैंडम ब्लड शुगर लेवल और इससे जुड़ी सभी विशेष जानकारियां।

 

विषय सूची :

रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट या आरबीएस टेस्ट क्या होता है?

आरबीएस टेस्ट का फुल फॉर्म, रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट होता है। यह आपके ब्लड में मौजूद ग्लूकोज या शुगर की मात्रा को मापने की एक विधि है। यह टेस्ट दिन के किसी भी समय किया जा सकता है और डायबिटीज और प्री-डायबिटीज के निदान के लिए इसे कराया जाता है। इस टेस्ट को आप घर में या लैब में जाकर करा सकते हैं। 

 

अगर रैंडम ब्लड शुगर (आरबीएस) टेस्ट की वैल्यू थोड़ी बढ़ी हुई आती है, तो इसका मतलब आपका डायबिटीज बॉर्डरलाइन पर है या आप प्री-डायबिटीज कंडीशन में हैं। वहीं, डायबेटिक्स में अगर ब्लड शुगर लेवल काफी कम या बढ़ा हुआ आए, तो उन्हें इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेने की आवश्यकता है।

 

इससे पहले कि आप लेख में आगे बढ़ें, घर में आराम से बैठकर हमारा Phable ऐप डाउनलोड करें, ताकि आपको अपने डायबिटीज को मैनेज करने में मदद मिल सके।

डायबिटिक के लिए रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट कब और क्यों जरूरी है?

यदि आपको डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते हैं, तो रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट कराने की जरुरत पड़ सकती है। लक्षणों को देखते हुए आपके डॉक्टर भी ये टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। डायबिटीज के लक्षणों की जानकारी यहां दी गई है। 

  • बार-बार पेशाब जाना 
  • ज्यादा प्यास लगना 
  • पर्याप्त खाने के बाद भी भूख लगना 
  • बिना कारण वजन घटना 
  • अत्यधिक थकान होना 
  • धुंधला दिखाई देना 
  • चोट और घाव का धीरे-धीरे ठीक होना 
ध्यान दें:

रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट करने का तरीका

यहां हम घर और लैब दोनों ही तरीके से रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट करने के तरीके बता रहे हैं। रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट घर में करने के लिए आपके पास एक ग्लूकोमीटर होना चाहिए। यह आज कल हर मेडिकल स्टोर में मिल जाता है। आप ऑनलाइन भी इसे खरीद सकते हैं। Phable के माध्यम से भी आप इसे खरीद सकते हैं।

घर में रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट करने का तरीका 

  • अपने हाथों को अच्छे से धोकर सुखा लें (खाने और अन्य पदार्थ आपको गलत रीडिंग दे सकते हैं)।
  • अपने ग्लूकोमीटर में एक टेस्ट स्ट्रिप डालें।
  • टेस्ट किट के साथ प्रदान की गई सुई (लैंसेट) को अपनी उंगलियों के किनारे पर चुभा सकते हैं। 
  • टेस्ट स्ट्रिप के किनारे को ब्लड की बूंद से टच करके रखें।
  • मीटर कुछ सेकंड में एक बीप साउंड के साथ आपके ब्लड शुगर लेवल को स्क्रीन पर दिखा देगा।

लैब में रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट करने का तरीका 

  • रैंडम ब्लड टेस्ट के दौरान, फ़्लेबोटोमिस्ट (Phlebotomist – ब्लड सैंपल कलेक्ट करने वाले लैब एक्सपर्ट्स) आपके बांह की नस में एक सुई डालेंगे और ब्लड सैंपल कलेक्ट करेंगे। 
  • फिर आगे की एनालिसिस के लिए ब्लड सैंपल को एक शीशी या टेस्ट ट्यूब में डालकर लैब को भेज देते हैं। 
  • एक सर्टिफाइड लैब तकनीशियन (Lab Technician: LT) अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके आपके ब्लड सैंपल की एनालिसिस करते हैं। 
  • ब्लड सैंपल कलेक्शन के 24 से 48 घंटे के अंदर टेस्ट की रिपोर्ट आ जाती है। 

जानिए रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट का परिणाम

  • किसी स्वस्थ व्यक्ति का या नॉन डायबिटिक व्यक्ति का अगर रैंडम ब्लड ग्लूकोज लेवल 140 mg/dl या इससे कम है तो यह सामान्य है। 
  • यदि रैंडम ब्लड ग्लूकोज लेवल 140 और 200 mg/dl के बीच हैं, तो आप प्री-डायबिटिक हो सकते हैं। 
  • यदि आपका रैंडम ब्लड ग्लूकोज 200 mg/dl या उससे अधिक है, तो आपको डायबिटीज है। 

रैंडम ब्लड ग्लूकोज टेस्ट किसी भी समय ग्लूकोज के लेवल को मापने के लिए किया जा सकता है। डाइग्नोसिस को कन्फर्म करने के लिए, फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट (Fasting Glucose Test) और ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test) की जरूरत पड़ सकती है। 

रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट को प्रभावित करने वाले कारक

निम्नलिखित कारक आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे आपका रैंडम ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ या कम आ सकता है, जैसे:

  • तनाव 
  • टेस्ट के ठीक पहले बहुत अधिक खाने से 
  • सही समय पर खाना न खाने से 
  • दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट 
  • किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या 
  • पीरियड्स 
  • डिहाइड्रेशन 
  • दर्द 

निम्नलिखित कारक आपके रैंडम ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकते हैं:

  • बहुत कम खाने से 
  • ज्यादा शराब पीने से 
  • ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी करने से 
  • दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट 

डायबिटीज डाइग्नोसिस के लिए टेस्ट

यदि आपका रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के बाद ग्लूकोज लेवल नॉर्मल से अधिक या कम है तो डॉक्टर डाइग्नोसिस को कन्फर्म करने के लिए फॉलो-अप टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। ये टेस्ट हैं:

फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट (Fasting Glucose Test)

यह ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट 8 घंटे फ़ास्ट रखने के बाद किया जाता है। डॉक्टर इस टेस्ट को सुबह ब्रेकफास्ट से पहले करने की सलाह दे सकते हैं।

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test)

कभी -कभी डायबिटीज होने पर भी फास्टिंग या रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट नॉर्मल रिजल्ट दे सकते हैं। यदि डॉक्टर को डाउट होता है तो वे आपको OGTT टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। 

 

इस टेस्ट में आपको 8 घंटे कुछ भी खाना पीना नहीं है और उसके बाद टेस्ट कराना है। पहला ब्लड सैंपल देने के बाद, आपको ग्लूकोज़ युक्त ड्रिंक दी जाएगी। इसके बाद डॉक्टर अगले 2 घंटों में कुछ और सैम्पल्स ले सकते हैं। इसमें आपके हाथ के नस से ब्लड सैंपल लिया जाएगा। 

 

हमे उम्मीद है कि आपको इस लेख द्वारा रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अब आप कभी भी घर में मौजूद ग्लूकोमीटर के जरिये अपने ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर कर सकते हैं। साथ ही एक स्वस्थ रूटीन को अपनाकर अपने ब्लड शुगर लेवल को मैनेज कर सकते हैं।

 

Don’t Have Time To Read?

  • रैंडम ब्लड शुगर (RBS) टेस्ट के द्वारा आपके ब्लड में उपस्थित ग्लूकोज या शुगर की मात्रा को मापा जाता है।
  • रैंडम ब्लड ग्लूकोज टेस्ट किसी भी समय शुगर लेवल को मापने के लिए किया जा सकता है। 
  • बार-बार पेशाब आना, ज्यादा भूख या प्यास लगना, थकान, आदि डायबिटीज के लक्षण दिखाई दें तो भी आप रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट करा सकते हैं।
  • स्वस्थ व्यक्ति का या नॉन डायबिटिक व्यक्ति का रैंडम ब्लड ग्लूकोज लेवल 140 mg/dl या इससे कम होने का मतलब है कि शुगर लेवल सामान्य है। 
  • रैंडम ब्लड ग्लूकोज लेवल 140 और 200 mg/dl के बीच हो, तो आप प्री-डायबिटिक हैं। 
  • यदि आपका रैंडम ब्लड ग्लूकोज 200 mg/dl या उससे अधिक है, तो आपको डायबिटीज है।
  • ब्लड शुगर लेवल कम या ज्यादा आने पर अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। 
  • डायबिटिक, नॉन-डायबिटिक और प्रेग्नेंट महिलाएं जैसे, सभी लोग अपने ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट करा सकते हैं। 
  • डाइग्नोसिस को कन्फर्म करने के लिए, आपके डॉक्टर आपको फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट और ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT) करवाने की सलाह दे सकते हैं। 

Friendly Asked Questions

रैंडम शुगर कितनी होनी चाहिए?

नॉर्मल व्यक्ति का रैंडम शुगर 140 mg/dl या उससे कम है, तो मतलब ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में है। यदि रैंडम ग्लूकोज टेस्ट का रिजल्ट 200 mg/dL या उससे अधिक आता है तो आपका ब्लड शुगर लेवल हाई है और आप डायबिटीज के पेशेंट हैं।

क्या होगा यदि आरबीएस अधिक है?

यदि आपका रैंडम ब्लड शुगर लेवल (आरबीएस) अधिक आया है तो आपको निम्न परेशानियां हो सकती हैं: 
-अधिक भूख और प्यास लगना 
-बार-बार पेशाब जाना 
-पेशाब से स्मेल आना 
-थकान होना 
-धुंधला दिखाई देना, आदि

मैं घर पर अपने आरबीएस की जांच कैसे कर सकता हूं?

आप रैंडम ब्लड शुगर लेवल की जाँच ग्लूकोमीटर, टेस्ट स्ट्रिप्स, लेंसेट डिवाइस के द्वारा कर सकते हैं। इसको करते वक्त निम्न सावधानियां रखें। 
-टेस्टिंग से पहले हाथ धो लें।
-लैंसेट को लैंसेट डिवाइस में ही रखें।
-मीटर में नया टेस्ट स्ट्रिप प्रयोग करें। 
-सावधानी से लैंसेट डिवाइस द्वारा उंगली में लैंसेट चुभोएं।
-टेस्टिंग स्ट्रिप में बेहद सावधानी से खून की बूंद डालें और रिजल्ट प्राप्त करें।

क्या लो ब्लड शुगर डायबिटीज है?

डायबिटीज के पेशेंट को लो ब्लड शुगर का सामना करना पड़ सकता है, हालांकि जिनको डायबिटीज नहीं है उनकी अन्य कारणों से ब्लड शुगर लेवल लो हो सकती है। इसलिए यह जरूरी नहीं कि लो ब्लड शुगर है तो आपको डायबिटीज है। 

क्या होगा अगर आरबीएस कम है?

अगर आरबीएस की वैल्यू कम आती है तो इसका मतलब है आपका ब्लड शुगर लेवल लो हो सकता है और आपको निम्न समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि:
-चक्कर आना 
-घबराहट होना 
-ज्यादा पसीना आना 
– धुंधला दिखाई देना 

क्या आरबीएस टेस्ट के लिए उपवास जरूरी है?

नहीं, रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के लिए फ़ास्ट करने की जरूरत नहीं होती है। आरबीएस टेस्ट किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, ध्यान रहे टेस्ट के ठीक पहले आप ज़्यादा कुछ न खाए हुए हो या ज़्यादा एक्सरसाइज या कोई फिजिकल एक्टिविटी न किये हो। 

क्या आरबीएस 160 सामान्य है?

रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट अगर 140 या इससे कम आया है तो यह सामान्य है। वहीं, अगर 160 है तो यह प्री डायबिटिक फेज है। बेहतर है इस बारे में एक बार डॉक्टर से भी सलाह ली जाए।